18 सितंबर: विश्व बाँस दिवस
• प्रत्येक वर्ष 18 सितंबर को विश्व बॉस दिवस मनाया जाता है।
• विश्व बाँस संगठन (World Bamboo Organization) ने 18 सितंबर वर्ष 2009 को बैंकाक (थाईलैंड) में आयोजित 8वीं विश्व बाँस कॉन्ग्रेस (World Bamboo Congress) में आधिकारिक रूप से विश्व बाँस दिवस (WBD) मनाए जाने की घोषणा की।
बाँस |
उद्देश्य :
• इस दिन को मनाने का उद्देश्य बाँस से निर्मित उत्पादों के प्रति लोगों को जागरूक करना एवं घरेलू उपयोग में आने वाले रोज़मर्रा के उत्पादों में बाँस के उपयोग को बढ़ावा देना है।
विश्व बाँस संगठन (World Bamboo Organization) :
• विश्व बाँस संगठन की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी। • इसका मुख्यालय एंटवर्प (बेल्जियम) में है।
• विश्व बाँस संगठन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण की रक्षा के मद्देनज़र दुनिया भर में बाँस की खेती को बढ़ावा देना साथ ही सामुदायिक आर्थिक विकास के लिये बाँस से सम्बन्धित उद्योगों को बढ़ावा देना है।
प्रमुख बिंदु:
विश्व की कुल बाँस आपूर्ति में भारत का योगदान 4% है। देश का कुल बाँस धारित क्षेत्र 15 मिलियन हेक्टेयर है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल बांस धारित क्षेत्र में 1.06 मिलियन हेक्टेयर का ह्रास हुआ है। भारत में पाई जाने वाली प्रमुख बाँस प्रजातियाँ अरुंडिनारिया, बम्बूसा, चिमोनोबामुसा, डेंड्रोक्लामस, डिनोकोला, गिगैन्टोचोला आदि हैं। देश के बाँस संसाधनों का 50% हिस्सा उत्तर पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल में है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिमी घाट देश के अन्य बाँस समृद्ध क्षेत्र हैं।